मैं तो चिराग हूँ तेरे आशियानों का कभी न कभी तो बुझ जाऊंगा; आज तुझे शिकायत है मेरे उजाले से कल अँधेरे में बहुत याद आऊंगा!
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मैं तो चिराग हूँ तेरे आशियानों का कभी न कभी तो बुझ जाऊंगा; आज तुझे शिकायत है मेरे उजाले से कल अँधेरे में बहुत याद आऊंगा!
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