ये कौन है जो ऐसे मुझे खोल रहा है
मुझ में है मगर मुझसे अलग बोल रहा है
रख देता है ला ला के मुकाबिल नए सूरज
वो मेरे चरागों से कहाँ बोल रहा है
मेरा-जमाना कभी कुछ है तो कभी कुछ
तू कैसे तराजू में मुझे तोल रहा है
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ये कौन है जो ऐसे मुझे खोल रहा है
मुझ में है मगर मुझसे अलग बोल रहा है
रख देता है ला ला के मुकाबिल नए सूरज
वो मेरे चरागों से कहाँ बोल रहा है
मेरा-जमाना कभी कुछ है तो कभी कुछ
तू कैसे तराजू में मुझे तोल रहा है
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