रस्ते में कल उनसे फिर मुलाकात होगई ना चाहते हुए भी आँखों ही आँखों में बात हो गयी
उसका ख़याल मेरे मन पे ऐसा शा गया के पता नहीं कमबख्त कब दिन हुआ और कब रात हो गयी
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रस्ते में कल उनसे फिर मुलाकात होगई ना चाहते हुए भी आँखों ही आँखों में बात हो गयी
उसका ख़याल मेरे मन पे ऐसा शा गया के पता नहीं कमबख्त कब दिन हुआ और कब रात हो गयी
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