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Bewafa Shayari
रूह के रिश्तों की ये गहराईयाँ
रूह के रिश्तों की ये गहराईयाँ
रूह के रिश्तों की ये गहराईयाँ तो देखिये
चोट लगती है हमें और चिल्लाते हैं माँ
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बात इतनी सी थी कि तुम
वो मुझे याद तो करती है
नज़रनज़र का फर्क है हुस्न का
दामाद उम्र में छोटा होता है
प्यार करने का हुनर हमें नहीं
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब
आज कल अपना लास्ट सीन तक
वो अपना प्यार नहीं दिखाते तो
नाम तो लिख दूँ उसकी अपने
मुसीबतो से उभरती है शख्सियत यारोजो
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