हसरत है सिर्फ़ तुम्हे पाने की,
और कोई ख्वाईश नही इस दीवाने की,
शिकवा मुझे तुमसे नही खुदा से है,
क्या ज़रूरत थी तुम्हे इतना खूबसरत बनाने की ..!
er kasz
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हसरत है सिर्फ़ तुम्हे पाने की,
और कोई ख्वाईश नही इस दीवाने की,
शिकवा मुझे तुमसे नही खुदा से है,
क्या ज़रूरत थी तुम्हे इतना खूबसरत बनाने की ..!
er kasz
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