हुस्न और खुशबु का सबब हो तुम; ऐसा खिलता हुआ गुलाब हो तुम; तुम जैसा हसीन न होगा इस जहाँ में; तमाम हसीनों में लाजवाब हो तुम।
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हुस्न और खुशबु का सबब हो तुम; ऐसा खिलता हुआ गुलाब हो तुम; तुम जैसा हसीन न होगा इस जहाँ में; तमाम हसीनों में लाजवाब हो तुम।
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