इस संसार में प्यार करने लायक़ दो वस्तुएँ हैं एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।
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इस संसार में प्यार करने लायक़ दो वस्तुएँ हैं एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना मनुष्यत्व का विकास नहीं होता।
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