“दिन तेरे ख़याल में गुजर जाता हैं
रातों को भी ख़याल तेरा ही आता हैं
कभी ये ख़याल इस तरह बढ़ जाता है की
आयने में भी तेरा ही चेहरा नज़र आता हैं
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“दिन तेरे ख़याल में गुजर जाता हैं
रातों को भी ख़याल तेरा ही आता हैं
कभी ये ख़याल इस तरह बढ़ जाता है की
आयने में भी तेरा ही चेहरा नज़र आता हैं
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