युँही बे सबाब ना फिरा करो,
कोई शाम घर भी रहा करो..
वो गज़ल की सच्ची किताब है,
उसे छुपके-छुपके पड़ा करो..
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं..
ये महोब्बतों की कहनीयाँ..
जो सुना नहीं वो कहा करो..
जो कहा नहीं वो सुना करो..
...

यूं बादल भी सहम से जाते हैं दर्दे दिल की कहानी पर
रास्तों मे फिर तनहाई बिखर जाया करती है
हम फिर से अजनबी बन जाते है ज्माने के लिए
और दुनिया का दस्तूर तो देखिए साहब
हमे जान बूझ कर मैहफिल मे बुला लेते हैं आज्माने के लिए

प्रेमिका: जब हमारी शादी हो जायेगी! मैं तुम्हारी सारी चिन्तायें और कष्ट बांट लूंगी। प्रेमी: मुझे तुमसे यही उम्मीद है लेकिन मेरी जिंदगी में कोई चिन्ता या कष्ट नहीं है। प्रेमिका: वो तो इसलिये क्योंकि अब तक हमारी शादी नहीं हुई!

तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है जिसका रास्ता बहुत खराब है
मेरे ज़ख़्म का अंदाज़ा ना लगा दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है
काटो के बदले फूल क्या दोगे आँसू के बदले खुशी क्या दोगे
हम चाहते है आप से उमर भर की दोस्ती हमारे इस शायरी का जवाब क्या दोगे

उस ‪#‎इंसान‬ पर भरोसा करें जो आपके अंदर तीन बातें जान सके. . .
1- आपकी मुस्कुराहट के पीछे छिपा दुःख।
2- आपके गुस्से के पीछे छिपा प्यार।
3- आपके चुप रहने के पीछे का कारण।
"जो आपकी खामोशी से
आपकी तकलीफ का अंदाजा ना
कर सके,
उसके सामने जुबान से तकलीफ
बयान करना लफ्जों को जाया करना है।"

दूर दूर रह कर भी हम कितने करीब हैं
हमारा रिश्ता भी जाने कितना अजीब है
बिन देखे ही तेरा यूँ मोहब्बत करना मुझसे
बस तेरी यही चाहत ही तो मेरा नसीब है
पर जिसे प्यार ही ना मिला हो किसी का
वो बदकिस्मत भी यहाँ कितना गरीब है
और जिसे मिल गया हो तेरे जैसा यार यहाँ
वो शख्स भी मेरे जैसा ही खुशनसीब है

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं
नींद से मेरा ताअल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं

जब भी होगी पहली बारीश.. ......तुमको सामने पाऐंगे....
वो बुँदो से भरा चहरा.. ......तुम्हारा हम कैसे देख पाऐंगे..
बहेंगी जब भी सर्द हवाऐं.. ......हम खुद को तनहा पाऐंगे...
ऐहसास तुम्हारे साथ का.. ......हम कैसे महसूस कर पाऐंगे..
इस दौडती हुई जिन्दगी में.. ......हम बिल्कुल ही रुक जाऐंगे..
थाम लो हमे थमने से पहले.. ......हम कैसे युँ जी पाऐंगे..
ले डूबेगा ये दर्द हमें ...

सर्दी के मौसम का मजा अलग सा है,
रात मे रजाई का मजा अलग सा है,
धुंध ने आकर छिपा लिया सितारों को,
आपकी जुदाई का ऐहसास अब अलग सा है।
सर्द रातों को सताती है जुदाई तेरी,
आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी,
जब भी चलती हैं हवाऐं..
दिल को आ जीती है फिर से याद तेरी।
आ जा अभी सर्दी का मौसम नही गुजरा,
पहाड़ो में अभी भी बर्फ जमी है..
सब क...

मैने जब सोचा कि तुम बिन जिना मुश्किल बात नही,
दिन तो मुश्किल से ही गुज़रा, तुम बिन गुज़री रात कहाँ ?
ज़हर समय का वह पी लेगा, कहता है तो कहने दो..
लीडर है वो सच न मानें, अब कोई सुकरात कहाँ ।
मेरी आँखों मे बुंदे थी, जब तितली के पंख नुचे,
जी तो चाहे शहर डुबो दूँ, आँखों में बरसात कहाँ ।
तेरी याद के नाखूनों से, रोज उधेड़े जख़्मों को,
मिलन की मरहम की चाहत है, पर ऐसी कोई रात कहाँ ।

मैं तुझको भुल के जिन्दा रहुँ, खुदा ना करे..
रहेगा साथ तेरा प्यार जिन्दगी बन कर..
ये और बात मेरी जिन्दगी वफा ना करे..
ये ठीक है नही मरता कोई जुदाई में..
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा ना करे..
सुना है उसको महोव्त दुआऐं देती है..
जो दिल पे चोट तो खाऐ मगर गिला ना करे..
अगर वफा पे भरोसा रहे ना दुनीया को..
तो कोई शख्स महोव्त का होसला ना करे..
बुझा दिया हो नसीबों ने मेरे प्यार का चाँद..