कोशिशों के बाद भी अगर हो जाती है कभी हार; होकर निराश मत बैठना मन को अपने मार; बढ़ते रहना आगे सदा हो जैसा भी ये मौसम; पा लेती है मंज़िल चींटी भी गिर-गिर कर हर बार।
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कोशिशों के बाद भी अगर हो जाती है कभी हार; होकर निराश मत बैठना मन को अपने मार; बढ़ते रहना आगे सदा हो जैसा भी ये मौसम; पा लेती है मंज़िल चींटी भी गिर-गिर कर हर बार।
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