जियो इतना कि ज़िंदगी कम पड़ जाये; हँसों इतना कि रोना मुश्किल हो जाये; मंज़िल पर पहुँचना तो किस्मत की बात है; मगर मंज़िल को चाहो इतना कि खुदा देने पर मज़बूर हो जाये।
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जियो इतना कि ज़िंदगी कम पड़ जाये; हँसों इतना कि रोना मुश्किल हो जाये; मंज़िल पर पहुँचना तो किस्मत की बात है; मगर मंज़िल को चाहो इतना कि खुदा देने पर मज़बूर हो जाये।
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