दर्द में भी जो हँसना चाहो तो हँस पाओगे; टूटे फूलों को भी पानी में डालो तो उनमें भी महक पाओगे; ज़िंदगी किसी ठहराव में कहीं रुकती नहीं; हिम्मत जो करोगे तो मंज़िल खुद-ब-खुद पा जाओगे।
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दर्द में भी जो हँसना चाहो तो हँस पाओगे; टूटे फूलों को भी पानी में डालो तो उनमें भी महक पाओगे; ज़िंदगी किसी ठहराव में कहीं रुकती नहीं; हिम्मत जो करोगे तो मंज़िल खुद-ब-खुद पा जाओगे।
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