दीपक तो अँधेरे में ही जला करते हैं; फूल तो काँटो में ही खिला करते हैं; थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर; हीरे तो अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं।
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दीपक तो अँधेरे में ही जला करते हैं; फूल तो काँटो में ही खिला करते हैं; थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर; हीरे तो अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं।
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