मंज़िल मिल ही जाएगी एक दिन भटकते भटकते ही सही; गुमराह तो वो हैं जो डर के घर से निकलते ही नहीं; खुशियां मिल जायेंगी एक दिन रोते रोते ही सही; कमज़ोर दिल तो वो हैं जो हँसने की कभी सोचते ही नहीं।

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