स्याही की भी मंज़िल का अंदाज़ देखिये
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है
जब कोई बिखेरता है, तो अलफ़ाज़…बनाती है…!!
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स्याही की भी मंज़िल का अंदाज़ देखिये
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है
जब कोई बिखेरता है, तो अलफ़ाज़…बनाती है…!!
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