हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिए; ज़िंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिए; एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे; धीरे-धीरे ही सही राह पर सदा चलते रहिए।
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हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिए; ज़िंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिए; एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे; धीरे-धीरे ही सही राह पर सदा चलते रहिए।
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