उधर ज़ुल्फ़ों में कंघी लग रही है और ख़म निकलता है; इधर रग-रग से खिंच-खिंच के हमारा दम निकलता है; इलाही ख़ैर कर उलझन पे उलझन पड़ती जाती है; ना उनका ख़म निकलता है ना अपना दम निकलता है। ख़म - उलझन

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