कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी; चंद सिक्कों के लिए तुने क्या नहीं खोया है; माना नहीं है मखमल का बिछोना मेरे पास; पर तु ये बता कितनी राते चैन से सोया है।
Like (0) Dislike (0)
कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी; चंद सिक्कों के लिए तुने क्या नहीं खोया है; माना नहीं है मखमल का बिछोना मेरे पास; पर तु ये बता कितनी राते चैन से सोया है।
Your Comment