मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है; एक प्‍यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है; तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा; मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है।

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