यूँ तो तमन्नाएं दिल में ना थी हमें लेकिन; ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे; बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन; ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे।
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यूँ तो तमन्नाएं दिल में ना थी हमें लेकिन; ना जाने तुझे देखकर क्यों आशिक़ बन बैठे; बंदगी तो खुदा की भी करते थे लेकिन; ना जाने क्यों हम काफ़िर बन बैठे।
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