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Dard Shayari
कितनी अजीब हैं मेरे अन्दर की
कितनी अजीब हैं मेरे अन्दर की
कितनी अजीब हैं मेरे अन्दर की तन्हाई भी
हजारों लोग अपने हैं मगर याद तुम ही आते हो
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