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Dard Shayari
गिलेसिकवे में उलझ कर रह गयी
गिलेसिकवे में उलझ कर रह गयी
गिले-सिकवे में उलझ कर रह गयी मौहब्बत अपनी
समझ में नही आता मौहब्बत चल रही थी या कोई मुकदमा
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एक रेड लाईट एरिया मे क्या
👉🎈"साज़िशें लाखो बनती हें मेरी हस्ती
मैं उसके हाँथों में था टूटे
किसी की याद में बार बार
वो खुद पर गरूर करते है
तू हमारी बराबरी क्या करेगी ए
न जाने क्योेें कोसते हैं लोग
देखी जो नब्ज मेरी हँस कर
सुनो तुम क्युँ मरते हो मुझ
नफ़रत सी हो गई हैँ इस
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