जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ – ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है
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जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ – ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है
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