दूसरों में बुराई ढूंढने वाले इन्सान की हस्ती उस मक्खी की तरह होती है
जो साफ-सुथरे पूरे शरीर को छोड़कर केवल गन्दे जख्म पर बैठना पसन्द करती है
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दूसरों में बुराई ढूंढने वाले इन्सान की हस्ती उस मक्खी की तरह होती है
जो साफ-सुथरे पूरे शरीर को छोड़कर केवल गन्दे जख्म पर बैठना पसन्द करती है
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