मैं तुम्हें भूल भी सकता हूँ मैं तुम्हें भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए
ज़रा सा झूठ भी जरूरी है दास्तां के लिए मेरे लबों पे कोई बूंद टपकी आंसू की
ये क़तरा काफी था जलते हुये मकां के लिए मैं क्या दिखाऊं मेरे तार तार दामन में
न कुछ यहां के लिए न कुछ वहां के लिए ग़ज़ल भी इस तरह उज़ार लाया हूँ
कि जैसे बच्चा कोई इम्तिहान के लिए
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