ना पुंछ मेरी तन्हाइ के आलम का दर्द
अगर बयान कर दूँगा ताे ये मुर्दे भी राे देंगे

हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में

नींद आए या ना आए चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना हमसे देखा नहीं जाता

आज दिल बहुत रो रहा है तेरे बिना
अब तो मुड के देख क्या हो गई हैं जिन्दगी तेरे बिना

मत पूछना मेरी ‪#‎शख्सियत‬ के बारे में ..
हम जैसे ‪#‎दिखते‬ है वैसे ही ‪#‎लिखते‬ है ...!

अपने वजुद में इतना तो यकीन है मुझे कि
कोई दूर तो हो सकता है मुझसे पर भूल नही सकता

कमीनेपन की तो बात ना कर दोस्त
में उनमे से हूँ जो मछली को भी डुबो डुबो के मारता हे

इक बात हमेशा‪ ‎याद‬ रखना छोरी तुम्हारे जीतने‪ सौख‬ है
उतनी तो मेरी‪ आदतें‬ है

मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो कि वो धोखा दे कर भी सोचे
की वापस जाऊ तो किस मुंह से

मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते है

ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है

एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए
मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए

तुम मेरी जिंदगी मे ऐसे शामिल हो..
जैसे मंदिर के दरवाजे पर बंधे हुए मन्नत के धागे...

अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो इसे मौत न समझना,
अक्सर ऐसा हुआ है तुझे याद करते करते…

दिल‬ खोल कर इन लम्हों को जी लो यारों,
जिंदगी‬ अपना ‪इतिहास‬ फिर नहीं दोहरायेगी!