वफ़ा में अब यह हुनर इख़्तियार करना है; वो सच कहें या ना कहें बस ऐतबार करना है; यह तुझको जागते रहने का शौंक कबसे हो गया; मुझे तो खैर बस तेरा इंतज़ार करना है।
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वफ़ा में अब यह हुनर इख़्तियार करना है; वो सच कहें या ना कहें बस ऐतबार करना है; यह तुझको जागते रहने का शौंक कबसे हो गया; मुझे तो खैर बस तेरा इंतज़ार करना है।
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