कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था; खेलने की मस्ती थी दिल ये आवारा था; कहां आ गए इस समझदारी के दल-दल में; वो नादान सा बचपन ही सबसे प्यारा था।
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कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था; खेलने की मस्ती थी दिल ये आवारा था; कहां आ गए इस समझदारी के दल-दल में; वो नादान सा बचपन ही सबसे प्यारा था।
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