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Dosti Shayari
बहेंगी जब भी सर्द हवायें; हम
बहेंगी जब भी सर्द हवायें; हम
बहेंगी जब भी सर्द हवायें; हम खुद को तन्हा पायेंगे; एहसास तुम्हारे साथ का; हम कैसे महसूस कर पायेंगे।
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खामोश रात के पहलू में सितारे
अजीब लगती है शाम कभीकभी; ज़िंदगी
लोग बेवजह ढूँढते हैँ खुदखुशी के
उसकी याद हमें बेचैन बना जाती
आज ये पल है; कल बस
काश एक तारा टूट जाए आजमुझे
ख़ुशी से दिल को आबाद करना;
समझा दो अपनी यादों को; वो
सामने ना हो तो तरसती हैं
यूँ रिश्ता निभाएंगे कि आपकी आँखों
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