पंजाबी कविता असी धुप समझे ओ छां निकली; असी शेरनी समझे ओ गाँ निकली; बेड़ा गर्क हो ऐना ब्यूटी पार्लरां दा; असी कुड़ी समझी ओ ते कुड़ी दी माँ निकली।
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पंजाबी कविता असी धुप समझे ओ छां निकली; असी शेरनी समझे ओ गाँ निकली; बेड़ा गर्क हो ऐना ब्यूटी पार्लरां दा; असी कुड़ी समझी ओ ते कुड़ी दी माँ निकली।
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