हसरत ए दीदार के लिये उसकी गली में मोबाईल की दुकान खोली; मत पूछो अब हालात ए बेबसी ऐ गालिब; . . . . . . . . रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।
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हसरत ए दीदार के लिये उसकी गली में मोबाईल की दुकान खोली; मत पूछो अब हालात ए बेबसी ऐ गालिब; . . . . . . . . रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।
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