बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो धूप आये तो सरसों पीली न हो
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि तेरी याद आये और पलकें गीली न हों
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बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो धूप आये तो सरसों पीली न हो
ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि तेरी याद आये और पलकें गीली न हों
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