कभी खुशी की आशा कभी गम की निराशा; कभी खुशियों की धूप कभी हक़ीक़त की छाया; कुछ खोकर कुछ पाने की आशा; शायद यही है ज़िंदगी की सही परिभाषा। सुप्रभात!
Like (0) Dislike (0)
कभी खुशी की आशा कभी गम की निराशा; कभी खुशियों की धूप कभी हक़ीक़त की छाया; कुछ खोकर कुछ पाने की आशा; शायद यही है ज़िंदगी की सही परिभाषा। सुप्रभात!
Your Comment