जी भर के चाहूँ अगर तुझे गवारा हो; बेताब मेरी नज़रें और सामने चेहरा तुम्हारा हो; उठ कर सुबह जब खोलूं आँखें; तो आँखों के सामने हसींन ये नज़ारा हो। सुप्रभात!
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जी भर के चाहूँ अगर तुझे गवारा हो; बेताब मेरी नज़रें और सामने चेहरा तुम्हारा हो; उठ कर सुबह जब खोलूं आँखें; तो आँखों के सामने हसींन ये नज़ारा हो। सुप्रभात!
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