बहार आती है आपके गुन गुनाने से; फूल खिलते हैं आपके मुस्कुराने से; अब जाग भी जाओ मेरे प्यारे दोस्त; क्योंकि हर सुबह होती है आपके चह-चहाने से। सुप्रभात!
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बहार आती है आपके गुन गुनाने से; फूल खिलते हैं आपके मुस्कुराने से; अब जाग भी जाओ मेरे प्यारे दोस्त; क्योंकि हर सुबह होती है आपके चह-चहाने से। सुप्रभात!
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