कदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते में; वर्ना संभलना हम भी जानते थे; ठोकर भी लगी तो उस पत्थर से; जिसे हम अपना मानते थे!
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कदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते में; वर्ना संभलना हम भी जानते थे; ठोकर भी लगी तो उस पत्थर से; जिसे हम अपना मानते थे!
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