कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे; कितना दूर है ख्वाब हकीकत के आगे; कोई रुकी हुई सी धड़कन से पूछे; कितना तड़पता है यह दिल मोहब्बत के आगे।
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कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे; कितना दूर है ख्वाब हकीकत के आगे; कोई रुकी हुई सी धड़कन से पूछे; कितना तड़पता है यह दिल मोहब्बत के आगे।
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