मैं सुपुर्दे ख़ाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे; कब्र पर मेरी तु उसके साथ आना छोड़ दे; हो सके गर तु खुशी के अश्क पीना सीख ले; या तु आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे।
Like (0) Dislike (0)
मैं सुपुर्दे ख़ाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे; कब्र पर मेरी तु उसके साथ आना छोड़ दे; हो सके गर तु खुशी के अश्क पीना सीख ले; या तु आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे।
Your Comment