ज़िंदा रहे तो क्या है जो मर जाएं हम तो क्या; दुनिया से ख़ामोशी से गुज़र जाएं हम तो क्या; हस्ती ही अपनी क्या है ज़माने के सामने; एक ख्वाब हैं जहान में बिखर जायें हम तो क्या।

Your Comment Comment Head Icon

Login