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Husan Shayari
मालूम नहीं क्यूँ मगर कभीकभीअल्फाजों से
मालूम नहीं क्यूँ मगर कभीकभीअल्फाजों से
मालूम नहीं क्यूँ मगर कभी-कभी
अल्फाजों से ज्यादा मुझे तेरा नाम लिखना अच्छा लगता है
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मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी
यूँ तो हम खुद ही ज़माने
कुछ खास जादू नही है मेरे
उसने कहा क्या चल रहा है
ये तो जिन्दगी की कशमकस में
टूटे हुवे सपनो और रूठे हुवे
ग़र तुम्हे अपना कहें तो तुम्हे
प्यार करने वालो की किस्मत ख़राब
आखें मत फाड पगले Dil को
नींद से क्या शिकवा जो आती
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