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गिलेसिकवे में उलझ कर रह गयी
गिलेसिकवे में उलझ कर रह गयी
गिले-सिकवे में उलझ कर रह गयी मौहब्बत अपनी
समझ में नही आता मौहब्बत चल रही थी या कोई मुकदमा
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नाम और बदनाम में क्या फर्क
उसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त
गम ने हसने न दिया ज़माने
कुछ सपनों को पूरा करने निकले
तुझे क्या लगा तु मुझे छोड
उसे किस्मत समझ कर सीने से
न जाने क्योेें कोसते हैं लोग
ना छोड़ना मेरा साथ ज़िन्दगी में
तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे
मैंने पूछा क्यूँ आये मेरी जिंदगी
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