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बचपन में जब चाहा हँस लेते
बचपन में जब चाहा हँस लेते
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए अश्कों को तनहाई
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मेरा यही अन्दाज इस जमाने को
हमने दिल वापस मांगा तो वो
जबान की हिफाजत दोलत से ज्यादा
आज कुछ नही है मेरे शब्दों
ये तेरे याद के बादल जो
महसूस कर रहे हैं तेरी लापरबाई
ये ना सोच कि तुझसे मोहब्बत
सबूत गूनाहो के होते हैं बेगुनाह
तेरे बाद किसी को प्यार से
हम नाजूक हैं पानी के बुलबुले
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