मनैं दसवीं उस दौर में की थी
जब नतीजे अखबार में छप के आया करते थे
फर्सट डिवीजन वाले को बड़ी सम्मान की दृष्टी से देखा जाता था
पास होना बड़े गर्व की बात थी खुशी के मारे सारे मोहल्ले में पताशे गुलदाणा बांटा करते थे
लेकिन अब जमाना बदल गया है कल मनैं मैरिट लेने वाले बच्चो के चेहरे पर उदासी देखी है
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