जिक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का; हमने खुद को सबसे खुशनसीब पाया; तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की; खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया। सालगिरह मुबारक!
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जिक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का; हमने खुद को सबसे खुशनसीब पाया; तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की; खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया। सालगिरह मुबारक!
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