खुदा तू ही बता हमारा क्या होगा; उजड़े हुए दिल का सहारा क्या होगा; घबराहट होती है मोहब्बत की नाव में बैठ कर; गर मझदार ये तो किनारा क्या होगा।
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खुदा तू ही बता हमारा क्या होगा; उजड़े हुए दिल का सहारा क्या होगा; घबराहट होती है मोहब्बत की नाव में बैठ कर; गर मझदार ये तो किनारा क्या होगा।
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