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गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो
गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो
गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ
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पगली कहती थी कि वो मेरी
तेरे लिये शायरी लिखुँ ऐसा तेरा
दूर गगन में उड़कर भीलौट आते
साला प्यार भी अजीब होता हैजिससे
इक बात हमेशा याद रखना छोरी
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तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई
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