दर्द आखों में झलक जाता है पर ओंठों पे नहीं आता है
है य़े मजबूरी मेरे इश्क की जो मिलता है खो जाता है
उसे भुलने का जज्बा तो हर रोज दिल में आता है
पर कैसे उसे भुला दे दिल हर जर्रे में जिसको पाता है
Nice Post Written By:- Dev Nishchal

Your Comment Comment Head Icon

Login