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बचपन में जब चाहा हँस लेते
बचपन में जब चाहा हँस लेते
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए अश्कों को तनहाई
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मत रो मेरे दिल चुप हो
किसीने मुझसे पुछा तुम गाॅगल पहनके
वो मुझसे दूर रहकर अगर खुश
वफ़ा के नाम से वोह अनजान
हमदर्दियाँ जनाब अब काटती हैं मुझेखामखा
दिल मेँ बुराई रखने से बेहतर
यहाँ हजारों शायर है जो तख़्त
मैं मर भी जाऊ तो उसे
शौक था अपनाअपनाकिसी ने इश्क कियातो
प्यार मे गम और दोस्ती मे
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