हो जहाँ सारी खुदायी एक ही छत के नीचे
रह जाएं जिसकी रहनुमायी से मन्दिर मस्जिद पीछे
न जहाँ जूठा हो किसी का न कोई नीचा हो
है वही मैक़दा जो हर शाम दीवानों को खींचे
Like (0) Dislike (0)
हो जहाँ सारी खुदायी एक ही छत के नीचे
रह जाएं जिसकी रहनुमायी से मन्दिर मस्जिद पीछे
न जहाँ जूठा हो किसी का न कोई नीचा हो
है वही मैक़दा जो हर शाम दीवानों को खींचे
Your Comment