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Love Shayari
अब हर दुख का इल्जाम मुहब्बत
अब हर दुख का इल्जाम मुहब्बत
अब हर दुख का इल्जाम मुहब्बत को देना भी ठीक नहीं यारों
कभी कभी जिन्दगी भी बेमिसाल दर्द देती है
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समय अच्छा हो तो आपकी गलती
कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे
मोहब्बत के हवाले से बहुत जालिम
थोडा दर्द बेंचकर सो गए थे
दर्द है दिल में पर इसका
हमने समंदर पे राझ किया हैईसि
युं ही हम दील को साफ
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